जिसने जन्म दिया है हमें जिसने जीना सिखाया हमें
बेटे की दुआ बस यही उसका वालिद सलामत रहे।।
इतने एहसान हैं ऐ-खुदा! शब्दों में व्यक्त कैसे करूँ
बस तह-ए-दिल से चाहूँ यही के वो इंसान सलामत रहे।।
जिनकी गोद में सोया था मैं कांधे पर बैठ घूमा शहर
जिसने चलना सिखाया मुझे हाँ वो इंसान सलामत रहे।।
चलते-चलते कभी जब गिरा तुमने उठना सिखाया मुझे
ठोकरों से बचाया मुझे और संभलना सिखाया मुझे।।
डाँटा पुचकारा प्यार किया हर तरह से सिखाया मुझे
जिसने लायक बनाया मुझे बस वो इंसान सलामत रहे।।
जब भी रोया किसी बात पर जब कभी मैं बीमार पड़ा
रातें जग-जग के देखा मुझे वो फरिश्ता सलामत रहे।।
पढ़ना तो था मुझे जाने क्यों ख्वाहिशें उसने कुर्बान की
जिसने काबिल बनाया मुझे वो खुदा बस सलामत रहे।।
ड़रता हूँ बस इसी बात से दिल ना उनका दुखा दूँ कहीं
या खुदा मौत देना मुझे गर कोई काम ऐसा करूँ।।
इतनी रहमत दे मुझको खुदा उनको हर एक खुशी दे सकूं
मेरी जब भी जरूरत पड़े पास मे ही खड़ा मैं रहूँ।।
बोलता हूँ नहीं कुछ मगर तुझको मालूम है सच सभी
मेरे दिल में जो उनके लिए है जो इज्जत सलामत रहे।।
।।आखिर।।