ज़िन्दगी में हर कदम पर रोशंनी नहीं होती
तन्हाइयां भी है यहाँ , सिर्फ महफिलें नहीं होती
लोग तो मिलते है, सबसे बंदगी नहीं होती
अरे ज़िन्दगी तो हर कदम पर, जूझने का नाम है
जो कटे आराम से वो ज़िन्दगी नहीं होती ।।
Thursday, December 6, 2012
दोस्तों की महफ़िलों में मिल के हमने भी जाम छलकाए
जहाँ तक नज़र गयी , सभी झूमते नज़र आये
पर ये नशा भी फीका लगा हमे उस नशे के आगे जब
जान दूँ में हंस के मेरी माँ और तेरा परचम पूरे विश्व में लहराए ।।