कुछ कहानी है है अजब , कितनी गजब है दास्ताँ
मुश्किलें सब छंट गयीं , न मिट सका इसका निशान
बाजु-ऐ-कातिल की भी होगी अधूरी दास्तान
गर नाम न होगा शहीदों का kahani में बयां
जो हो गए कुर्बान हंस कर इक सवेरा लाने को
की जी सकें निश्चिन्त हम , आज़ाद हो हिन्दुस्तान ||
राह थी मुश्किल बड़ी , कांटे बीचे हर डग यहाँ
नंगे पाव थे चले ऐसे थे वीर नौजवान
राह थी जिसने दिखाई देश को आज़ादी थी
खुद लतियों का ले सहारा चलता था बापू महँ ||
हर वर्ग था शामिल जब जश्न-ऐ-आज़ादी मानाने को
तब देश के दुश्मन बना बैठे नया हिन्दोस्तान
है मुल्क वो अपना मगर जाने वो क्या है सोचता
की दुश्मन-ऐ-हिन्दोस्तान बन बैठा है वो अब यहाँ
न जीता है वो खुद वहां न जीते है हम अब यहाँ
न जाने कब किस मोड़ पे वो छोड़ दे अपना निशान ||
यूँ तो मिल्ली आज़ादी पर क्या सच में हम आज़ाद है
आदमी तो आदमी , है सोच का शोषण यहाँ
भ्रस्त है सब लोग जाने कैसा ये गणतंत्र है
की आदमी को आदमी है काटता हर पल यहाँ ||
अब भी समय है रहनुमाओं जाग जाओ तुम यहाँ
तो भी मुक्कमल हो सकेगा गणतंत्र का सपना यहाँ
वरना उठेंगी आंधियां हुंकार होगा फिर जवान
और फिर बनेगा देश में कोई भगत ,तो कोई बापू महान
फिर लाज तुम अपनी बचा पाओगे न उस पल यहाँ
जब देश का होकर न पाओगे दो गज मिटटी यहाँ ||
बात है इतनी की अब जागो उठो कुछ तो करो
की बन सके गणतंत्र प्यारा न्यारा अपना ये जहाँ
घूम लो दुनिया भले जितनी भी लेकिन ये सुनो
सरे जग में है नहीं कोई दोसरा हिन्दोस्तान ||
Happy Republic Day...